Thursday, September 30, 2021

सागर किनारे दिल ये पुकारे ....


क्या आप अपनी छुट्टियां पहाड़ों में, समुद्र तट पर या गांवों में बिताना पसंद करते हैं? जब मैंने २००५ साल में फ्रेंच सीखना शुरू किया, तब ये सवाल मेरी भाषा की किताब में था। बाद में जब मैंने इटैलियन सीखना शुरू किया तब ये सवाल फिर से वापस आया। अजीब बात है, है ना? मेरे खयाल में अक्सर शब्द और विचार एक नया अर्थ पाते है जब हमें उन्हें जीने और अनुभव करने का मौका मिलता है। मेरे जैसे भारत में पैदा हुए व्यक्ती के लिए ये सवाल तो और भी रोचक था| विश्राम की छुट्टियां अभी भी अधिकांश भारतीयों के लिए एक अज्ञात अवधारणा हैं और शायद कुछ और समय के लिए ऐसे ही रहेगी। वैसे भी, फ्रेंच शैली की छुट्टियों की तो कुछ और ही बात हैं! सार्वत्रिक छुट्टियां पिछले कुछ दशकों से फ्रांस के समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी हैं। यहां गर्मि (जुलाई-अगस्त) और क्रिसमस (दिसंबर), ये साल के दो, छुट्टियों के सबसे महत्वपूर्ण समय माने जाते हैं। इसके अलावा, सर्दि (फरवरी), वसंत (अप्रैल) और शरद ऋतु (अक्टूबर) के दौरान भी छुट्टियां होती हैं। बेशक, यहां के लोगों को यह तय करने की आजादी है कि इन में से कब और कितने दिन की छुट्टियां चुननी है।

मेरे लिए इस बार गर्मी की छुट्टियां समंदर के पास होनी थी। हाल के वर्षों में मैं समंदर के प्रति एक अलग-सा लगाव मेहसूस कर रहा हू। इतना कि मेरे लिए, जिस साल समंदर ना देखा, वह साल जैसे एक खोया हुआ साल बन जाता है! और Covid की वजह से २०२० का साल एक ऐसा ही खोया हुआ वर्ष था... इसलिए मैं यह सुनिश्चित करना चाहता था कि २०२१ के साथ भी यही किस्सा फिर ना दोहराए। लेकिन यह संयोग से ही था कि मैं समंदर के इतने करीब आ पाया। क्योंकि, शुरू में, मैंने फ्रांस के उत्तर में 'आमिया' (Amiens) से 'सॅन-वैलेरी-सुर-सोम' (Saint Valery sur Somme) के गांव तक साइकिल से, अकेले सवारी करने की योजना बनाई थी| सॅन-वैलेरी-सुर-सोम गांव में "ला सोम" (La Somme) नामक नदी समंदर (English Channel) में विलीन होती है। लेकिन कुछ दिन पहले खराब मौसम के पूर्वानुमान के कारण मुझे अपना इरादा बदलना पड़ा।

अखिरकार मंगलवार, १३ जुलाई, २०२१ को सवेरे नौ बजे मैं 'काँ' (Caen, lower Normandy) गांव के लिए रेल्वे से पेरिस से निकला। इस रेल्वे में एक विशेष कोच था जिसमें साइकिल डालकर ले जाया जा सकता था। मेरे पास साइकिल पर पीछे छोड़ दि जा सके ऐसी दो बैगे थी और साथ ही साथ सामने एक टोकरी (basket) जिसे आसानी से अलग किया जा सकता था। मेरे सामान के रूप में मेरे पास कुछ कपड़े, एक रेनकोट, एक सोने की बैग (sleeping bag), एक हवा भर सकूं ऐसी गदीया (inflatable bag), एक बेहद हल्का सा तंबू, साइकिल मरम्मत के कुछ उपकरण और एक किताब शामिल थे। इस सब का कुल वजन करीब १५-२० किलो था। मेरी योजना थी कि सायकल से, एक हफ्ते के लिए, अकेले, फ्रांस के पश्चिमी तट के शहर काॅ (Caen) और शेरबुर्ग (Cherbourg) के बीच सफर किया जाए| इसमे और ६० किमी की यात्रा जुड़ गई| क्योंकि शेरबुर्ग में एक रात बिताने के बाद, वहा से पश्चिम दिशा में स्थित, शिओतो (Sciotot) नाम के एक समंदर के गांव में मैं एक फ्रांसीसी-भारतीय जोड़े (मेरी दोस्त की दोस्त!) से मिलने गया| और वही मैंने एक रात के लिए डेरा भी डाल दिया। तो कुल ७ दिनों में, २७५ किलोमीटर की साइकिल यात्रा कर, मैंने फ्रांस के पश्चिमी तट पर बसे कई छोटे और खूबसूरत गांवों का दौरा किया। और अंत में, १९ जुलाई को मैंने शेरबुर्ग से पेरिस के लिए वापसी रेल्वे ली। इस यात्रा के लिए प्रेरणा मुझे फ्रांसीसी लेखक Sylvain Tesson द्वारा लिखित उपन्यास "Les Chemins Noirs" (काली सड़कें) को पढ़ने से मिली।  

इस सफर के दौरान मेरा एक सामान्य नियम ऐसा था कि मैं शाम छह बजे तक सायकल चलाउंगा (जुलाई में फ्रांस में रात १०.३० से पहले अंधेरा नहीं होता है). और शाम छह और आठ के बीच में अपना तंबू गाड़ने के लिए सही जगह की तलाश करूंगा। मेरे तंबू के लिए एक आदर्श जगह मतलब एक सुनसान और समतल सी जगह थी। मैं दोपहर के खाने के लिए भोजनालय जाता था, जबकि मेरा शाम का खाना एक सैंडविच से निपट जाता था। नाश्ते के लिए में फल खाता और फ्रांस के प्रसिद्ध viennoiserie (Pastries)! सुबह मैं रास्ते में गांवों में कॉफ़ी के लिए रुकता और वही मेरी पानी की बोतल भी भर लेता। दोपहर खाने के वक़्त, भोजनालय में मेरा मोबाइल फोन और पावर बैंक भी रिचार्ज हो जाता। 

जब मैं पहले दिन सुबह ११ बजे काॅ पहुंचा, तो मैंने तुरंत साइकिल से शहर में घूमना शुरू किया। इस शहर के सुंदर चर्च और पुरानी इमारतें देख तो में दंग रह गया! यहा आने से पहले मैंने कभी इस जगह के बारे में कुछ पढ़ा या सुना नहीं था| इसलिए आंखों को जो कुछ भी दिखाई दे रहा था, वह बहुत ही सुखद, अद्भुत और आश्चर्य जताने वाला था। मूर्तिकला, विशेष रूप से चर्च पर, बेहद नाजुक और विस्तृत थी| और एक दूरी से, ये इमारतें शानदार लग रही थी। ओर्न (Orne) नामक एक छोटी सी नदी इस शहर से होकर बहती है। आगे की पूरी यात्रा में, चूंकि भारतीय मसालों का फ्रांस के समुद्र तटों के गांवों में मिलना दुर्लभ था, मैंने बेनजीर नाम के एक पाकिस्तानी भोजनालय के साथ अपने भोजन का सिलसिला शुरू किया! वैसे, इस भोजनालय का नाम ही मुझे यहां खींचने के लिए पर्याप्त था| यहां के कर्मचारियों की आवभगत उतनी ही सराहनीय रही, जितना कि उनका स्वादिष्ट भोजन। बड़े प्यार से उन्होंने मुझे खाना परोसा और कुछ चीज़े अपनी तरफ़ से भी खिलाई!  

उस दिन, शाम लगभग पांच बजे तक शहर में घूमने के बाद, मैंने अंत में समुद्र के करीब जाने का फैसला किया। शुरुआत में मैंने ओर्न नदी के नहर के किनारे से यात्रा की। फ्रांस में अक्सर नदियों से समानांतर नहरें होती है| जिनका उपयोग नाव तथा तटीय कारखानों के लिए समर्पित माल परिवहन के लिए किया जाता है। इस यात्रा के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगभग सभी जगह, साइकिल के लिए एक आरक्षित सड़क थी। करीबन १८ किमी साइकिल की सवारी करने के बाद जब मैं वुइस्रेहम (Ouistreham) नामक समुंदर के किनारे के गांव पहुंचा, तो तब तक पूरा नज़ारा बदल गया था। समुद्र तट (beach) हर जगह परिवारों और बच्चों के साथ सजा था। वे दौड़ रहे थे, तैराकी लगा रहे थे, खेल रहे थे.... माहौल बहुत प्रसन्न और सुखद था! मैंने एक बड़ी सी साँस लेकर वो ताजा, जीवित समुद्र हवा मेरे फेफड़ों में भर दि। 

लेकिन इस दौरान, वक़्त भी तेजी से आगे बढ़ रहा था। मुझे जल्द ही तय करना था कि मैं अपनी पहली रात के लिए तंबू कहां लगाऊंगा। मैंने थोड़ी देर के लिए और साइकिल चलाई लेकिन कहीं कोई सही जगह नहीं मिली। समस्या यह थी कि इस शुरुआती परिसर में खासतौर पर बहुत सारे पर्यटक थे, इसलिए हर जगह सीमेंट, पक्के निर्माण बने हुए थे। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। करीबन ८ बजने के आसपास मैं एक शिविर स्थल (camping site) के सामने से गुजरा। मैंने पूछताछ की और वही रात बिताने का फैसला किया। यह जगह काफी सस्ती थी। मेरे डेरे के लिए जगह के अलावा यहां शौचालय और बाथरूम भी थे। मजेदार बात ये है कि फ्रांस और यूरोप में ये शिविर स्थल मुझे हमारी भारतीय मलिन बस्तियों (slums) की याद दिलाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि ये यहां के शिविर स्थल बेहद सुसज्जित, स्वच्छ और आरामदायक होते है| यहां मेरी मुलाकात एक परिवार (एक युवा लड़के सहित) से हुई| वह सायकल से 'ला रोशेल' (La Rochelle) नामक गांव तक यात्रा कर रहे थे। हमने कुछ इधर उधर कि बातेँ की। अगले दिन अलविदा कहने से पहले, बड़े प्यार से उन्होंने मुझे एक फल दिया!

अगली यात्रा दिन-ब-दिन और दिलचस्प होती रही थी। अपेक्षाकृत कम मानव हस्तक्षेप की बदौलत इस क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य दर्शक को सहजता से सम्मोहित करता है। इसके अलावा, नॉरमैंडी (Normandy) तट द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़े संग्रहालयों और स्मारकों से समृद्ध है। ६ जून, १९४४ को मुख्य रूप से अमेरिकी, ब्रिटिश और कनाडाई सैनिकों के साथ, मित्र देशों की सेनाएं जर्मनों के खिलाफ लड़ने के लिए नॉरमैंडी के समुद्र तटों पर उतरी थी। और इसलिए, यहा के कई गांवों में इस लड़ाई से संबंधित अपने संग्रहालय और स्मारक हैं। यहां तक की कई समुद्र तटों के नाम उस समय के अमेरिकी सैन्य विभागों के नामों पर रखे गये है। जैसे उताह (Utah) बीच, ओमाहा (Omaha) बीच, जूनो (Juno) बीच आदि। यह वातावरण हमें अपने आप, उस समय के भयंकर, युद्ध के माहौल मे ले जाता है।

 

इस यात्रा के दौरान आम जनता के साथ मेरी जो भी बातचीत हुई वह बहुत दिलचस्प रही। दुनिया के इस कोने में, आज भी पर्यटकों के रूप में एशियाई लोग दुर्लभ ही है। और इस कोरोना के दौर में तो और भी। इसलिए यहां के लोग मेरे जैसे विदेशी को देख उत्सुक रहते हैं। एक बार, एक छोटे से देहात में, मैं समुद्र तट पर अकेले अपना सैंडविच खा रहा था। कुछ दूरी पर ग्रामीणों का एक समूह; पुरुष-महिला, युवक-बुढ़े, कॉफी पर बातेँ कर रहे थे। उनमें से एक मुझसे मिलने आया। प्यार से मेरा हालचाल पूछा और फिर मुझे उनके साथ कॉफी पीने के लिए आमंत्रित किया। खुश हो कर मैंने भी हाँ कर दी। करीबन ४५ मिनट के गपशप के बाद मैंने उनसे अलविदा कहा!

मेरा मोबाइल फोन और पावर बैंक रीचार्ज करना और मेरी पानी की बोतल भरना, मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गए थे। एक बार एक छोटे से गांव के एक दुकानदार ने मेरी बोतल भरने से इन्कार कर दिया। दरअसल, मैंने उस दुकान में कुछ सामान भी खरीदा था। दुकानदार का तर्क था कि वह अन्य चीजों के साथ पानी की बोतलें भी बेचता है, इसलिए मुफ्त में मेरी पानी की बोतल भरना उसके कारोबारी तर्क के अनुरूप नहीं। मैं बिना बहस के वहां से चल दिया। कुछ मिनट साइकिल चलाने के बाद मैं एक घर के सामने आ पहुंचा। बगीचे में दो महिलाएं बैठी थीं। मैंने उनसे पूछा कि क्या वे मेरी बोतल भर सकती हैं। वह खुशी-खुशी राजी हो गई। जब मैंने उन्हें वहां की दुकान में अपने अनुभव के बारे में बताया तो वह आग बबूला हो गई। और आज के युग में भी, लोग कितना संकीर्ण सोचते हैं, यह कह कर उनकी आलोचना करने लगी| मैंने कहा, अरे मौसी, इस यात्रा के दौरान लोगों के साथ मेरे सभी अनुभव बेहद अच्छे रहे और यह घटना केवल एक अपवाद है। एक निराशादायक अनुभव की वजह से सभी लोगों को संकीर्ण कहना गलत ना होगा? जहां तक हो सके, मैं पानी की बोतल को फिरसे भरके अनावश्यक प्लास्टिक प्रदूषण से बचना चाहता था। अन्यथा, पानी की नई बोतलें यहां पर सस्ते में बेची जाती हैं।

मेरे लिए इस यात्रा के दौरान सबसे खुशी की बात यह थी कि मैं जब चाहू, जहां चाहू वहां समुद्र में तैर सकता था। समुद्र का पानी कितना ताज़ा और प्रफुल्लित करने वाला है! मेरे लिए तो यह मेरे दैनिक स्नान का विकल्प था। समुद्र में तैराकी के बाद, मीठे पानी की दो लीटर की बोतल की बदौलत मैं मेरे शरीर पर थमा नमकीन स्वाद निकाल सकता था। 

रात में समुद्र के पास से सोने और जागने की संभावना आपको सूर्य और चंद्रमा के सुंदर रूपों का शानदार आनंद लेने का मौका देती है। उन रातों में से एक रात, मैंने समुद्र के पास एक पहाड़ के किनारे पर डेरा डाल दिया था। वहां देखा सूर्यास्त और अगले दिन का सूर्योदय, एक असाधारण और अद्भुत अनुभूति थी। एक और समय, जब मैं रात के बीच पेशाब के लिए उठा, तब मैंने पीले चाँद के मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों को देखा। उस चंद्रमा की पीली ज्योति जल में परिलक्षित हुई थी! हर जगह अंधेरा, पूरी दुनिया सो रही थी और यह पीला चांद बेहद शांत मुद्रा के साथ, जाते जाते, समंदर के साथ गुफ्तगू कर रहा था| और फिर अंत मे वह उसी समंदर मे विलीन हो गया! यहा का आकाश, पेरिस और उस जैसे चमकते शहर, जो ना कभी सोते है, उनसे अलग था| रात में यहा जुगनू और चांद साफ दिखाई पड़ते है| अगर इतना खूबसूरत नजारा है तो रात में पेशाब की वज़ह से उठना पड़े तो कोई क्यूँ नाराज हो?

यात्रा के दौरान, मैं संभवतः समुद्र के करीब के रास्ते का चयन किया करता था। मैंने जिस Kamoot नाम के application का इस्तेमाल किया वह इस संबंध में बहुत उपयोगी थी। हालांकि, मुख्य रूप से शहर में उपयोग के लिए बनी मेरी सायकिल के लिए यह यात्रा आसान ना थी। क्योंकि सड़क पर अक्सर रेत, पत्थर या कांटेदार पौधे लगे रहते थे। और फिर भी, इस पूरे सप्ताह में, मेरी साइकिल केवल एक बार ही पंचर हुई!

जो लोग समुद्री भोजन (seafood) खाना पसंद करते हैं, उनके लिए नाॅर्मंडी क्षेत्र तो मानों एक स्वर्ग ही है! यहां के भोजनालय यहां मौजूद विभिन्न समुद्री फलों के कई स्थानीय व्यंजन (recipes) हमे खिलाते है| विशेष रूप से Coquilles Saint Jacques (scallops) उन स्वादिष्ट व्यंजनों में से एक है। शेरबुर्ग में कुछ स्थानीय दोस्तों की सिफारिश पर, मैं 'ला सतरुई' (La Satrouille) नामक एक प्रसिद्ध भोजनालय में गया और वहां मैंने 'समुद्र की थाली' (L'assiette de la mer) मंगवाई। इस थाली में Scampis, Whelks, Shrimps और Oyster जैसे पदार्थ थे। इसके साथ ही परोसे थे mayonnaise, smashed shrimps chutni, vinegar, salade, toast, मक्खन और डबलरोटी! अपने दुग्ध उत्पादों के लिए प्रसिद्ध नॉरमैंडी क्षेत्र के भोजनालयों की विशेषता यह है कि वह डबलरोटी के साथ मक्खन भी परोसते है।

जब हम समुद्र के चारों ओर यात्रा पर होते हैं, तो हमारा निरंतर साथी होता है समुद्र का गंध। सौभाग्य से मैं उसे पसंद करता हू। साथ ही समुद्र लहरों और Seagull पंछियों का संगीत भी बेरोकटोक जारी रहता है। दूर-दूर की खबर लाने वाली और समुद्र के तट को प्यार से संवारने वाली हवा, वहाँ के वातावरण को जिंदा और खुश रखती है। यहां सबसे आश्चर्यजनक बात तो समुद्र तट पर दिखने वाली घोंघे (snail) है! पौधे, घास, कचरे के डिब्बे, पत्थर, सीमेंट निर्माण और बहोत कुछ... जहां भी उन्हें जगह मिल जाएं, वे वहां बस जाती हैं! अंत में, समुद्र को अलविदा कहने से पहले, मैं अपने साथ एक बोतल में कुछ समुद्र का पानी और शैवाल ले आया।

समुद्र तट पर पौधे अलग-अलग तरह के होते हैं। कई पौधों में बहुत मोटी और लंबी पत्तियां थीं। जगह-जगह सुंदर फूल खिले थे। मैंने इस सफर में कई खेत भी देखे। एक सुबह, एक खेत में दो हिरन देखे! और हां, रास्ते में, प्रसिद्ध नॉरमैंडी गायों के झुंड, घोड़ें और भेड़ियां भी। और फिर एक बार कुछ जंगली खरगोश देखे! 

शायद, आप मुझसे पूछेंगे कि क्या इस यात्रा के दौरान मैंने अकेला महसूस किया? ईमानदारी से कहूं तो नहीं। मुझे लगता है कि वैसे हम अकेले कब होते है? मैं हमेशा पेड़, पंछी, जानवर, हवा, समुद्र, प्रकृति से घिरा हुआ था। और फिर वहां लोग भी तो थे..... यह सब मेरे लिए काफी था। अकेले यात्रा हमें प्रकृति के साथ एकीकृत करने का एक दुर्लभ अवसर देता है। हमारी प्रवृत्ति, भावनाएं व्यक्त कि जा सकती हैं।

निश्चित रूप से, मैं भविष्य में ऐसी और यात्राएं करना चाहूंगा। लेकिन इस सफर से मैंने क्या सबक सीखा है? मुझे लगता है कि एक बेहतर सोने की बैग लेनी होगी। मेरी वर्तमान बैग सिर्फ १५°C से अधिक के तापमान के लिए ही उपयुक्त है। कुछ रातें थोड़ी ठंडी थीं। और फिर एक अधिक आरामदायक गदिया भी मिले तो मज़ा आ जाए! मैं मोबाइल फोन को चार्ज करने के लिए एक Photovoltaic generator भी ले सकता हूं। इससे भोजनालय में मोबाइल रिचार्ज कराने से निजात मिलेगी। साइकिल के लिए नई और पहले से चेक की गई, एक्स्ट्रा ट्यूब भी तैयार रखी जा सकती है। इससे हर बार पंचर की मरम्मत के लिए मेरा समय बचेगा। इसके अलावा, अगली बार, मैं अपने मोबाइल फोन का उपयोग यथासंभव कम करना चाहूँगा ताकि प्रकृति का अधिक समर्पित तरीके से आनंद लिया जा सके। आखिरकार, एक सप्ताह के लिए, कठिन सड़कों पर, लगातार साइकिल चलाना आपको कहीं न कहीं थका ही देता है। इसलिए शायद हर २-३ दिन के बाद, एक दिन विश्राम का हो तो बेहतर होगा।

अंत में सारांश के रूप में मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि इस अनुभव ने मुझे बहुत खुशी दी। विदेश में एक एकल साइकिल यात्रा के दौरान, मैंने अनजाने में न केवल अपने आप पर बल्कि प्रकृति और यहां के लोगों पर भी विश्वास किया। और वह सही निकला।


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