Saturday, June 18, 2022

पृथ्वी का डिजिटल विनाश

 



पिछले कई वर्षों से, डिजिटल, कंप्यूटर की दुनिया को साफ या प्रदूषण मुक्त माना गया है क्योंकि यह आभासी (virtualहै। इसलिए शक्तिशाली तेल और ऑटोमोबाइल लॉबी के सामने, सिलिकॉन वैली प्रदूषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक स्वाभाविक सहयोगी लगती थी।

इस विश्वास को कोविड संक्रमण के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने घर से, लैपटॉप पे ​​काम करके मजबूत किया। लेकिन यह भ्रम अब दूर हो रहा है। उच्च तकनीक क्षेत्र की पर्यावरणीय विनाश में ज़िम्मेदारी को अक्टूबर २०२१ के Le Monde Diplomatique के एक लेख में विस्तार से प्रस्तुत किया गया है [1]। यह उस लेख का सारांश है।

अगदम्बा डिजिटल प्रदूषण

वैश्विक डिजिटल उद्योग में पानी, संसाधनों (material) और ऊर्जा का उपयोग इतना बड़ा है कि यह फ्रांस या इंग्लैंड जैसे देशों की खपत का तीन गुना है।

डिजिटल प्रौद्योगिकियां आज दुनिया की १०% तक बिजली का उपयोग करती हैं (और यह सर्वविदित है कि कोयला बिजली उत्पन्न करने के लिए उपयोग की जाने वाली ऊर्जा का मुख्य स्रोत है!) डिजिटल उद्योगों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) लगभग ४% है, जो वैश्विक नागरिक उड्डयन क्षेत्र के प्रदूषण के दोगुने से थोड़ा कम है! [2]

इंटरनेट का प्रवेश द्वार

पर्यावरण को नुकसान अरबों इंटरफेस (टैबलेट, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, आदि) से शुरू होता है जो आपके लिए इंटरनेट के द्वार खोलते हैं। और यह विनाश उस डेटा के साथ जारी है जिसे हम हर पल बनाते हैं।

इस डेटा के परिवहन (transport), भंडारण (storage) और प्रसंस्करण (processingके लिए अगदम्बा अवसंरचना (infrastructure) का उपयोग किया जाता है, जिसके लिए विशाल संसाधनों और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उसके बाद इस डेटा का उपयोग करके नई डिजिटल सामग्री बनाना संभव होता है ... और इसके लिए और अधिक नए इंटरफेस की आवश्यकता है! 5G की नई मोबाइल तकनीक के साथ, यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है।ह

« Material Input Per Service Unit » (MIPS)

“Material Input Per Service unit” (MIPS) आपकी उपभोग की आदतों (खरीद, उपभोक्ता सेवा उपयोग, आदि) के कुल भौतिक प्रभाव (material impact) को मापने का एक नया तरीका है। यह मानदंड उत्पाद या उपभोक्ता सेवा के उत्पादन के लिए आवश्यक संसाधनों (resources) की मात्रा को मापता है [3]

इसके विपरीत MIPS किसी भी वस्तु जैसे कपड़ा, संतरे के जूस की बोतल, चद्दर, मोबाइल आदि के निर्माण, उपयोग और पुनर्चक्रण (recycling) के लिए आवश्यक सभी संसाधनों का मूल्यांकन करता है। और इसमें बहुत सी चीजें शामिल हैं। नवीकरणीय (जैसे पौधे) या क्षय (गैर-नवीकरणीय - जैसे खनिज) संसाधनों का उपयोग, कृषि उथल-पुथल, पानी और रासायनिक उत्पादों का उपयोग आदि।

हम किसी वस्तु की खरीद या सेवा की खपत के लिए MIPS की गणना भी कर सकते हैं: जैसे कि कार से १ किलोमीटर की यात्रा करना और एक घंटे के लिए टेलीविजन देखना क्रमशः १ और २ किलोग्राम संसाधनों की लागत है। एक मिनट के लिए फोन पर बात करने की "लागत" २०० ग्राम संसाधन है। एक एसएमएस का "वजन" ६३२ ग्राम होता है। 

जैसे ही किसी तकनीक (technology)  का इस्तेमाल होता है, उस वस्तू/सर्विस का MIPS तुरंत बढ़ जाता है। डिजिटल तकनीक के मामले में, यह सहज स्पष्ट है क्योंकि यह बड़ी मात्रा में धातुओं का उपयोग करता है। विशेष रूप से दुर्लभ धातुएं जिन्हें जमीन से निकालना मुश्किल होता है। उदाहरण के लिए, २ किलो कंप्यूटर (लैपटॉप) के निर्माण के लिए, अन्य चीजों के अलावा, मुख्य रूप से २२ किलो रासायनिक उत्पाद, २४० किलो ईंधन और १.५  टन स्वच्छ पानी की आवश्यकता होती है [4] टेलीविज़न का MIPS २०० से १०००/१  की सीमा में आता है, जिसका अर्थ है: तैयार उत्पाद के प्रति ग्राम उत्पादन के लिए २०० से १०००  ग्राम संसाधनों की आवश्यकता होती है। स्मार्टफोन का MIPS १२००/१  है (१५० ग्राम स्मार्टफोन के लिए १८३ किलो कच्चा माल लगता है!) लेकिन इलेक्ट्रॉनिक चिप के बनने से सभी MIPS रिकॉर्ड टूट जाते हैं। २ ग्राम एकीकृत सर्किट के लिए, ३२ किलोग्राम संसाधन, जो कि १६०००/१ का एक बड़ा अनुपात है!

विशाल डेटा केंद्र और उनकी "अतिरिक्तता"

पृथ्वी पर सबसे बड़ा डेटा सेंटर बीजिंग के दक्षिण में एक घंटे की ड्राइव पर चीनी शहर लैंगफैंग में है। डेटा सेंटर लगभग ६००,०००  वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो लगभग ११० फुटबॉल मैदान जितना है! डाटा सेंटरों के माध्यम से मशीनों को ठंडा करने के लिए आवश्यक पानी और बिजली का उपयोग दिनबदिन बढ़ रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियां "पूर्ण ब्लैकआउट" (complete blackout) नामक स्थिति से बचने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं। यह एक प्रकार का "पूर्ण टूटना" (complete breakdown) है जो कि कई कारणों से हो सकता है जैसे: बिजली की कमी, एयर कंडीशनिंग सिस्टम में पानी का रिसाव, कंप्यूटर की खराबी (bug), आदि। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के सामने, कई होस्टिंग कंपनियां (hosting companies) यह सुनिश्चित करने के लिए कोशिश करती हैं कि उनका सिस्टम ९९.९९५% पर चले, जिसका अर्थ है की प्रति वर्ष केवल २६ मिनट का व्यवधान! और इसके लिए वे अतिरिक्तता (redundancy) का सहारा लेते हैं। इसमें कई सर्वर होते हैं जो आमतौर पर विभिन्न महाद्वीपों पर स्थापित होते हैं। उदाहरण के लिए, २०१० की एक संगोष्ठी के दौरान, Google इंजीनियरों ने बताया कि Gmail संदेश सेवा को छह बार दोहराया (duplicate) गया था! नतीजतन, यह उद्योग "ज़ोंबी सर्वर" (zombie servers) से ग्रस्त है और अन्य उद्योगों की तरह, इसकी ऊर्जा खपत अधिक है। कुछ डेटा केंद्र, जो आकार में बहुत बड़े हैं लेकिन शायद ही कभी उपयोग किए जाते हैं, उपलब्ध बिजली का ९०% तक बर्बाद कर सकते हैं।

रोबोट द्वारा और रोबोट के लिए संचालित इंटरनेट

इंटरनेट की संरचना ऐसी है कि यहाँ अकेले मानवीय हस्तक्षेप मौजूद नहीं है। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी ऑफ़ लैंकेस्टर के प्रोफेसर माइक हाज़स (Mike Hazas) इस बात की पुष्टि करते हैं कि "कंप्यूटर और वस्तू (object) बिना मानवीय हस्तक्षेप के एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं। इसलिए, डेटा का निर्माण अब मानव गतिविधि तक सीमित नहीं है ”[5] आज ४०% से अधिक ऑनलाइन गतिविधि बॉट (bots) द्वारा या लोगों को भुगतान करके फर्जी या भ्रामक संदेश भेजने के लिए की जाती है। ट्रोल (Trolls), बॉटनेट (botnets) और स्पैमबॉट फर्जी संदेश भेजते हैं, सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाते हैं या कृत्रिम रूप से कुछ वीडियो की लोकप्रियता बढ़ाते हैं। आज, वित्तीय क्षेत्र में वैश्विक लेनदेन में स्वचालित सट्टेबाजी का हिस्सा ७०% और व्यापारिक प्रतिभूतियों (financial securities) के मूल्य का ४०% तक है। हम मानव से निर्मित और मानव के उपयोग के लिए इंटरनेट नेटवर्क से अब मशीन-चालित और मशीन के लिए इंटरनेट की ओर बढ़ रहे हैं।

नई पीढ़ी और डिजिटल दुनिया

आज, दुनिया भर में एक नई पीढ़ी "पृथ्वी को बचाने" के लिए जाग रही है। ये युवा जलवायु परिवर्तन (climate change) के खिलाफ अपनी निष्क्रियता के लिए सरकारों को अदालत में ले जाते हैं और पेड़ लगाते हैं। यह पीढ़ी स्पष्ट रूप से प्लास्टिक, मांस और हवाई यात्रा का विरोध करती है। और फिर भी यह युवा पीढ़ी किसी और की तुलना में ई-कॉमर्स, आभासी वास्तविकता (virtual reality)  और ऑनलाइन "गेमिंग" का अधिक उपयोग करती है!

यह अजीब लग सकता है, लेकिन किसी और चीज से ज्यादा, यह डिजिटल दुनिया है जो पृथ्वी के भौतिक और जैविक संसाधनों पर तनाव बढ़ा रही है।

[1] https://www.monde-diplomatique.fr/2021/10/PITRON/63595

[2] « Lean ICT : pour une sobriété numérique », op. cit.

[3] Michael Ritthoff, Holger Rohn et Christa Liedtke, « Calculating MIPS : Resource productivity of products and services » (PDF), Wuppertal Spezial 27e, Institut Wuppertal pour le climat, l’environnement et l’énergie, janvier 2002.

[4] Frédéric Bordage, Aurélie Pontal, Ornella Trudu, « Quelle démarche Green IT pour les grandes entreprises françaises ? » (PDF), étude WeGreen IT réalisée en collaboration avec WWF France, octobre 2018.

[5] Mike Hazas, intervention à la conférence « Drowning in data — digital pollution, green IT, and sustainable access », EuroDIG, Tallinn (Estonie), 7 juin 2017.

 

 

 


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