Friday, April 22, 2022

लॅटव्हिया (Latvia)

रूसी भाषी अल्पसंख्यक और यूरोपीय संघ में एकीकरण




एक आम धारणा है कि यूरोपीय संघ (EU) यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त रूप से सतर्क है कि उसके सदस्य देशों द्वारा लोकतांत्रिक सिद्धांतों का सम्मान किया जाता है। हालांकि, लॅटव्हिया (Latvia), एक छोटा बाल्टिक देश (केवल २ मिलियन की आबादी वाला), अपनी आबादी के लगभग १०% जनता को "नागरिक" नहीं मानता है। इस रूसी भाषी अल्पसंख्यक आबादी को मतदान करनेका अधिकार नहीं है। और फिर भी, यह देश अभी भी यूरोपीय संघ की अपनी सदस्यता बनाए रख सकता है! दूसरी ओर, इस देश के यूरोपीय संघ में शामिल होने के दो मुख्य परिणाम हैं: पश्चिमी यूरोपीय देशों की तरफ बड़ी संख्या में नागरिकों का पलायन और गंभीर वित्तीय कटौती। बहरहाल, लॅटव्हिया में लगभग कोई सामाजिक या राजनीतिक राय नहीं है जो यूरोपीय संघ के बारे में सवाल उठाती है। यह दिसंबर २०२१ के Le Monde Diplomatique में प्रकाशित लेख का सारांश है [१]

रूसी भाषी अल्पसंख्यक

१९९१ में स्वतंत्रता के बाद से पूर्व सोवियत गणराज्य की रूसी भाषी आबादी दबाव में है। १९४० में सोवियत गणराज्य द्वारा पहली बार विलय के बाद, लॅटव्हिया में आए सभी नए लोगोंको (ज्यादातर रूसी, लेकिन सोवियत गणराज्य के अन्य सदस्य राज्यों से आए हुए लोग भी) इस नए राष्ट्र में "बाहरी" माना जाता था। एस्टोनिया (Estonia) ने भी उसी रास्ते का अनुसरण किया, लेकिन बेलारूस (Belarus) या यूक्रेन (Ukraine) ने १९९१ के बाद अपनी पूरी आबादी को नागरिकता प्रदान की। हालांकि लॅटव्हिया में, ७००,००० लोगों को, याने देश  की आबादी के एक तिहाई हिस्से को, स्वतंत्रता के बाद परिभाषित नागरिकता की व्याख्या  से बाहर रखा गया था। ऐसे व्यक्तियों के लिए, १९९५ में, एक कानून ने "गैर-नागरिक" की अवधारणा पेश की (जिसमें वे निवासी शामिल हैं जो १९९२ से पहले यहां बस गए हैं, दस साल से अधिक समय से यहां रह रहे हैं या यहां पैदा हुए हैं)। तीन साल बाद, एक नए कानून ने उनके लिए नागरिकता प्राप्त करना आसान बना दिया, लेकिन २००४ में लॅटव्हिया के यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से यह प्राकृतिककरण लगभग बंद हो गया है। आज भी लॅटव्हिया में १९०,५०० "गैर-नागरिक" हैं (जिनमें से ६५% खुद को रूसी घोषित करते हैं।) इस प्रकार, आबादी के १०% जनता को मतदान के अधिकार से (यहां तक ​​​​कि स्थानीय चुनावों से भी) और कुछ व्यवसायों (सिविल सेवा, वकील, नोटरी, फार्मासिस्ट, आदि) से वंचित कर दिया गया है।

२०१२ का जनमत संग्रह

२०१२ में, नागरिकों की पहल से १०,००० हस्ताक्षर (संविधान में एक प्रावधान के अनुसार जनमत संग्रह आयोजित करने की ये यह एक शर्त है) एकत्रित करने के बाद, रूसी को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया था। देश के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले रूसी टेलीविजन चैनल द्वारा भारी प्रचार के बावजूद, इस जनमत का परिणाम "नहीं" (७५% के खिलाफ) था। लेकिन महज इस मुद्दे पर एक जनमत संग्रह किया गया इससे भी लॅटव्हिया की राजनीति में हलचल मच गयी। हाल के वर्षों में, यूरोपीय परिषद की सभा ने लॅटव्हिया में सिविल सेवा में रूसी भाषिकोंको शामिल करने और अल्पसंख्यक भाषाओंकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई प्रस्ताव पारित किए हैं। हालांकि, लॅटव्हिया का २०१८ का शिक्षा सुधार कानून इन दिशानिर्देशों की लगभग पूरी तरह से अनदेखी करता है। कानून के अनुसार २०२२ से सभी माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा पूरी तरह लातवियाई भाषा में ही होगी। इस तरह से यह सोवियत काल (रूसी, लातवियाई और कुछ अन्य अल्पसंख्यक भाषाओं, जैसे पोलिश) से विरासत में मिले शिक्षा- बहुभाषावाद को मिटा देगा। 

पश्चिमी यूरोपीय देशों के लिए भारी प्रस्थान

१९९१ के बाद से लॅटव्हिया ने अपनी आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा खो दिया है। यदि बढ़ती मृत्यु दर और सुस्त जन्म दर जनसंख्या में गिरावट के मुख्य कारण हैं, तो पश्चिमी यूरोपीय देशों में नागरिकों का प्रस्थान एक तिहाई गिरावट का कारण है। २००१ के बाद से, लॅटव्हिया के लगभग ३,००० गांवों को नक्शे से मिटा दिया गया है (कुल गांवों का ३२% हिस्सा) [२]। और इस वजह से सरकार को क्षेत्रीय प्रशासनिक प्रभाग के पुनर्गठन के लिए मजबूर होना पड़ा।

पश्चिमी यूरोपीय देशों (विशेषकर आयरलैंड [३]) की तरहफ़ नागरिकों के प्रस्थान के कुछ मुख्य कारण हैं: २००७ में शेंगेन (Schengen) क्षेत्र में विलय, २००८ के वित्तीय संकट के बाद गंभीर वित्त-कटौती (निजी क्षेत्र के वेतन में ३०% की कमी, सार्वजनिक क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद के १५% तक की कटौती) न्यूनतम वेतन में २०% की कमी, आदि)। इतने बड़े झटकोंके बावजूद, लॅटव्हिया में कोई यूरोपीय संघ विरोधी राजनीतिक दल नहीं हैं, या यूरोपीय संघ में शामिल होने के नकारात्मक परिणामों की सार्वजनिक चर्चा भी नहीं है।

यूरोपीय लोकतांत्रिक परिवार में "वापसी" की सामाजिक लागत के बावजूद, लॅटव्हिया ने अपनी गिनती को एक "छोटे देश" के रूप में स्वीकार कर लिया है। और इसलिए, इस देश के लिए, आज़ादी  केवल सत्ता के हस्तांतरण तक ही सीमित रह गयी है। इसने रूस के साथ अपने संबंध तोड़ कर, भारी कीमत देकर भी यूरोप को गले लगाने पसंद किया है।

 

 [1] https://www.monde-diplomatique.fr/2021/12/RICHARD/64141

 [2] Sintija Ambote, « Cette année, vingt-cinq villages ont été rayés de la liste des localités, mais tous ne sont pas vides », LSM, Riga, 8 novembre 2018.

[3] Lire Philippe Rekacewicz et Ieva Rucevska, « Aucun vent de panique, mais… », Le Monde diplomatique, septembre 2009. https://www.monde-diplomatique.fr/2009/09/REKACEWICZ/18160

 

 

 


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